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पुखराज

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  पुखराज धारण करने के फायदे (Pukhraj Stone Benefits in Hindi)   पुखराज रत्न पर बृहस्पति ग्रह का आधिपत्य होता है और बृहस्पति ग्रह इंसान का कर्म ,ज्ञान, बुद्धि जैसे कारक का स्वामी होता है। इसे धारण करने से व्यक्ति को शिक्षा, बुद्धि और व्यापार में लाभ प्राप्त होते हैं ,धन और समृद्धि एवं मान सम्मान प्राप्त होता है ।   ज्योतिषशास्त्र में पुखराज  को बृहस्पति ग्रह का रत्न माना गया है. अंग्रेजी में पुखराज को यैलो सफायर भी कहते हैं, बृहस्पति के शुभ प्रभावों को बढ़ाने और सकारात्मक फल की प्राप्ति के लिए इस रत्न को धारण किया जाता है.  पुखराज रत्न कब पहनना चाहिए, क्यों पहनना चाहिए और इसे धारण करने के लाभ हैं. मान-सम्मान और यश में वृद्धि के लिए इस रत्न को पहन सकते हैं. समाज में प्रतिष्ठा बढ़ाने के पुखराज पहनने की सलाह दी जाती है अगर आपका बच्चा पढ़ाई में कमजोर है या उसे पढ़ाई पर ध्यान देने में कठिनाई होती है तो आप उसे गुरु का रत्न पहना सकते हैं. इस रत्न को धारण करने से शिक्षा और करियर के क्षेत्र में सफलता मिलती है पुखराज रत्न पहनने से धारणकर्ता की रुचि अध्यात्म और धामिक कार्यों के प्रति अधि

माणिक रत्न के चमत्कारी फायदे

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  💥 माणिक रत्न के चमत्कारी फायदे 👉 ज्‍योतिषशास्‍त्र में सूर्य को पिता एवं आत्‍मा का प्रतिनिध माना गया है। सूर्य की कृपा से जातक को सरकारी नौकरी भी मिल सकती है। नौकरी में किसी ऊंचे पद को प्राप्‍त करने के इच्‍छुक हैं तो आपको सूर्य का रत्‍न माणिक्‍य धारण करना चाहिए। रत्न शास्त्र में रत्नों का महत्व बताया गया है. प्रत्येक रत्न किसी विशेष ग्रह से संबंध रखते हैं. माणिक्य रत्न को सूर्य से संबंधित माना गया है. माणिक्य को अंग्रेजी में रूबी भी कहते हैं.  मूल्‍यवान रत्‍न रूबी लाल और हल्‍के गुलाबी रंग का होता है। सूर्य का रत्‍न माणिक्‍य करियर के लिए अमृत के समान है। जिन लोगों को करियर के क्षेत्र में सफलता नहीं मिल पा रही है, उन्‍हें माणिक्‍य धारण करने से लाभ होगा। इस रत्‍न की शक्‍ति से व्‍यक्‍ति में नेतृत्‍व के गुण आते हैं जिसकी मदद से वह अधिकारिक एवं प्रशासनिक क्षेत्र में कार्यरत हो सकता है। सूर्य देव के शुभ प्रभाव से व्‍यक्‍ति का आत्‍मविश्‍वास बढ़ता है और उसकी संकोच करने की प्रवृत्ति भी दूर होती है।   * माणिक पत्थर धारण करने से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है।  * इससे व्यक्ति के मान

मूंगा पहनने से जातक का मंगल मजबूत होता है

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मूंगा पहनने से जातक का मंगल मजबूत होता है। यह रत्न राजनीति, नेतृत्व, प्रशासन, सेना, पुलिस, मेडिकल क्षेत्र, तेल, गैस, प्रॉपर्टी, ईंटभट्टे का कार्य करने वाले धारण कर सकते हैं। इस क्षेत्र में उन्हें तरक्की भी मिलती है। ज्योतिष शास्त्र अनुसार मूंगा रत्न का संबंध मंगल ग्रह से है, जो शक्ति, बल, साहस व ऊर्जा के स्वामी हैं। वैदिक ज्‍योतिष में आक्रामक ग्रह मंगल के अशुभ प्रभावों को दूर करने और उसकी कृपा पाने के लिए मूंगा को पहना जाता है मूंगा को धारण करने का सबसे बड़ा लाभ यही है कि ये मंगल ग्रह से जुड़े मांगलिक दोष को दूर करने में मदद करता है। मांगलिक दोष के कारण व्‍यक्‍ति के विवाह में दिक्‍कतें आती हैं और उसका वैवाहिक जीवन भी सुख से वंचित रहता है। मूंगा स्‍टोन रिश्‍तों में प्रेम और आपसी समझ को बढ़ाता है। अगर आपकी कुंडली में मांगलिक दोष है तो आपको भी ज्‍योतिषाचार्य से कुंडली विश्‍लेषण करवाने के बाद मूंगा स्‍टोन पहनना चाहिए। मूंगा रत्न पहनने चमत्कारी फायदे -  ऐसे लोग जो जीवन में कठिन परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं। मूंगा के प्रभाव से उन्हें धैर्य और साहस मिलता है।  मेडिकल क्षेत्र

दान देते समय इन नियमों का करें पालन

💥 दान देते समय इन नियमों का करें पालन 👇 निस्वार्थ भाव से करें दान . दुखी या द्वेश भाव से किया गया दान व्यर्थ चला जाता है. अर्जित कमाई का दसवां हिस्सा करना चाहिए दान. इससे परिवार में बनी रहती है बरकत. कभी-कभी दान देना भी व्यक्ति के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकता है,  अगर उसकी जन्म पत्रिका में दान करने के योग न हों तो। लाल किताब में ऐसे बहुत से योगों का वर्णन है,  जिनका अगर हम पालन करें तो अनेक संकटों से बच सकते हैं। इसमें यह बताया गया है कि हमें कौन-सी वस्तु दान करनी चाहिए या नहीं करनी चाहिए।  यदि जन्म कुंडली के साथ वर्ष फल में भी कोई ग्रह विशिष्ट रूप से आ जाए अथवा जो ग्रह व्यक्ति की जन्मकुंडली में उच्च का हो और अपने स्थायी घर में विद्यमान हो तो उस ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान उस व्यक्ति को नहीं करना चाहिए।  ऐसा दान देना भयंकर हानि का कारण बन सकता है। यदि जन्म पत्रिका में किसी ग्रह को उच्चत्व प्राप्त है तो उस ग्रह से संबंधित कोई भी वस्तु दान न लें। यदि आपकी जन्म पत्रिका में किसी ग्रह को नीचत्व प्राप्त है तो उस ग्रह से संबंधित कोई भी वस्तु बिना मूल्य के न लें। सूर्य के उच्च होने पर गु

मासों (महीनों) का फलादेश

 मासों (महीनों) का फलादेश 1. चैत्रमास (अप्रैल) - चैत्र मास में जन्म लेने वाला बालक क्रोधी, अहंकारी, शुभ कर्म करने वाला तथा स्त्रियों के वश में रहने वाला होता है।  2. वैसाख मास (मई ) - वैशाख मास में उत्पन्न बालक धनवान, विषय भोगी, सुन्दर नेत्रों वाला स्त्रियों के वशीभूत रहने वाला होता है। 3. ज्येष्ठ मास (जून) - इस मास में जन्म लेने वाला बालक धनवान, प्रतिभावान, दीर्घायु (लम्बी आयु) वाला होता है। 4. आषाढ़ (जुलाई ) - आषाढ़ मास में जन्में जातक पुत्र-पौत्र से धर्मात्मा, सुन्दर और अल्प सुख प्राप्त करने वाला होता है। 5. श्रावण (अगस्त)- श्रावण मास में उत्पन्न जातक सुख-दुःख, हानि- लाभ में चित्त रखने वाला, स्थूल शरीर (मोटा) और सुन्दर होता  6. भाद्रपद मास (सितम्बर) - भाद्रपद मास में उत्पन्न बालक दुर्बल शरीर वाला, स्त्री प्रेमी तथा स्वजनों से मधुर सम्बन्ध रखने वाला होता है। 7. आश्विन (अक्तूबर) - आश्विन मास में उत्पन्न जातक विद्वान, धनवान, लेखक, कवि तथा ऐश्वर्यशाली होता है।  8. कार्तिक (नवम्बर) - कार्तिक मास में उत्पन्न प्रेमी और क्रय-विक्रय के कार्य में महारथी होता है। 9. मार्गशीर्ष (दिसम्

नीलम रत्न के चमत्कारी फायदे -

  नीलम रत्न के चमत्कारी फायदे -  रत्न शास्त्र में बताया गया है कि नीलम रत्न धारण करने से व्यक्ति को आर्थिक व मानसिक रूप से बहुत फायदा मिलता है । व्यक्ति अगर कैरियर या बिजनेस में तरक्की चाहता है तो यह रत्न उसके लिए फायदेमंद होता है। जो लोग डिप्रेशन या मानसिक समस्याओं से जूझ रहे हैं, उनके लिए भी यह रत्न लाभदायक साबित होता है। नौ रत्‍नों में नीलम को सबसे शक्‍तिशाली रत्‍न माना जाता है। ये न्‍याय के देवता शनि ग्रह का रत्‍न है। ऐसा माना जाता है कि इस रत्‍न को पहनने से रातोंरात व्‍यक्‍ति रंक से राजा बन सकता है क्‍योंकि नीलम रत्‍न की शक्‍ति ही ऐसी है कि ये गरीब से अमीर बना सकता है। 1. नाम, पैसा और शोहरत कमाने की इच्‍छा रखने वाले व्‍यक्‍ति को यह रत्न अवश्य पन्ना चाहिए।   2. काले जादू, सम्‍मान में कमी और बुरी नजर से हमेशा बचे रहने के लिए भी इस रत्‍न को पहना जाता है।  3. शनि देव का यह रत्‍न तुरंत परिणाम देने की शक्‍ति रखता है। धन लाभ, वैभव और करियर एवं जीवन में सफलता पाने के लिए इस स्‍टोन को पहना जा सकता है। 4. सामाजिक, व्‍यावसायिक और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति आती है और मनचाहे परिणाम मिल

स्फटिक माला के फायदे

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    स्फटिक माला के फायदे  1. कहते हैं कि इसे पहनने से किसी भी प्रकार का भय और घबराहट नहीं रहती है। 2. इसकी माला धारण करने से मन में सुख, शांति और धैर्य बना रहता है। 3.ज्योतिष अनुसार इसे धारण करने से धन, संपत्ति, रूप, बल, वीर्य और यश प्राप्त होता है। 4.माना जाता है कि इसे धारण करने से भूत-प्रेत आदि की बाधा से भी मुक्ति मिल जाती है। 5.इसकी माला से किसी मंत्र का जप करने से वह मंत्र शीघ्र ही सिद्ध हो जाता है। 6.इससे सोच-समझ में तेजी और दिमाग का विकास होने लगता है। 7.इसकी भस्म से ज्वर, पित्त-विकार, निर्बलता तथा रक्त विकार जैसी व्याधियां दूर होती है। 8.स्फटिक किसी भी पुरुष या स्त्री को एकदम स्वस्थ रखता है। 9.स्फटिक की माला को भगवती लक्ष्मी का रूप माना जाता है। 10.स्फटिक की माला धारण करने से शुक्र ग्रह दोष दूर होता है। 11.स्फटिक के उपयोग से दु:ख और दारिद्र नष्ट होता है। 12.यह पाप का नाशक है। पुण्य का उदय होता है। 13.सोमवार को स्फटिक माला धारण करने से मन में पूर्णत: शांति की अनुभूति होती है एवं सिरदर्द नहीं होता। 14.शनिवार को स्फटिक माला धारण करने से रक्त से संबंधित बीमारियों में लाभ होता है।

50+ बड़ी चंचल होती है,

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   ये बढ़ती उम्र 50+ बड़ी चंचल होती है, लगता है दिन में कई बार बदलती है।।😚😚 सुबह ली अंगड़ाई तो कंधा चटका, ऐसा लगा वक़्त ने साठ पे ला पटका।।👩‍🦯👩‍🦯 जूते कसे और सैर कर डाली,🏃‍♀️🏃‍♀️ यूँ लगा जैसे उम्र पचास को होने वाली।।🤓🤓 होके तैयार कुछ मेकअप कर डाला,💅💋 दर्पण बोला तू चालीस की लगे बाला।।🥰 रसोई में जाकर कचौड़ी तल डाली,🫕🥘 यूँ लगा जैसे उम्र हो तीस की मतवाली।।😍😍 मिले दोस्त पुराने,दोहराए किस्से पुराने,👩‍❤️‍👩👩‍❤️‍💋‍👩🤝🤝 अरे मैं तो बीस जैसी लगी लहराने।।💃💃 घर लौटी शाम को जब थक कर चूर, यूँ लगा कि उम्र सत्तर भी कहाँ हैं दूर।।👩‍🦽👩‍🦽 ये बदलती उम्र दिन भर, हर दिन नयी तकनीक और पुराने अनुभव, यही सिखाते हैं हर बार,💁🏻‍♀️💁🏻‍♀️ ज़िंदगी जी भर जी लो यार मौका मिले ना बारबार !!!❤🥰 💥VIJAY KRISHNA 💢  

सुकून के ~ कुछ पल

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 ...     ︵︷︵︷︵︷︵︷︵​︷︵       ♤  सुकून के ~ कुछ पल  ♤     ︶︸︶︸︶︸︶︸︶︸︶       कितनी भाग दौड़ मचा रखी है                 जिंदगी में.         नौकरी ● पढ़ाई ● कमाई.        जरा ठहरो तो, साँस तो ले लो.          खुद को भी कुछ समय दो.             कितना वक्त हो गया ना ...                    खुद से मिले.     कब अपने आप से बात की तुमने ?     इत्मीनान से .... बोलो ? बोलो भी ?          आह्ह... नहीं याद है ना ...     क्योंकि तुम्हारे पास समय ही नहीं था.         तुम तो आँख बन्द किये     घड़ी की सुई के साथ भाग रहे थे.   कौन सा विजयपथ है वो, जिस पर  सबके सब भेड़ चाल बनके भाग रहे हैं ?      चलो ... आज समय निकाल कर,                   मिल भी लो खुद से.         आइना उठाओ ! निहारो !   ◆ कितना थक गयी हैं , ये आँखें ◆  दिन रात मोबाइल और कम्प्यूटर घूर के.       चलो किसी पार्क में, अकेले       सुकून के कूछ पल बिता लो.     ❌ ना .... हरगिज़ नहीं ... ❌        मोबाइल मत ले जाना, वर्ना            फिर कैद हो जाओगे.  ❗         देखो ! बच्चे खेल रहे हैं.   अरे अरे , वो लाल टीशर्ट वाला बच्चा         कैसे दौड़ के बॉल पकड़ रहा है.  

मोती की माला के फायदे

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मोती की माला के फायदे  • मोती माला धारण करने से परिवार में सम्बंध मजबूत रहते है। ब्लड प्रेशर, हृदय, एवं आंखों से संबंधित बीमार जातक को यह माला पहनना बहुत ही लाभकारी है। • मोती की माला मानसिक रोग और शांति के लिए यह माला बहुत ही लाभकारी है। • मोती की माला को पहनने से पेट सम्बंधित कोई समस्या नहीं होती है, मन शांत रहता है, छोटी-छोटी बातों पर क्रोध नही आता, प्रत्येक कार्य में सफलता मिलती है। • मोती की माला को धारण करने से माँ से ज्यादा बनने लगती है, माँ से धन लाभ के योग बनने लगते है। • मोती की माला को धारण करने से मस्तिष्क मजबूत होता है, यादाश बढ़ने लगती है। • मोती की माला को धारण करने से शरीर के हार्मोनस में सन्तुलन बना रहता है। • आर्ट्स वाले विद्यार्थी के लिए मोती माला बहुत ही लाभकारी है। • जो व्यक्ति पानी, कोल्डड्रिंक, जूस, मछली पालन, पशु पालन, यात्रायें, बाहरी देशों से लेने-देन जैसे कार्य करते हो उनके लिए मोती माला राजयोग का निर्माण करती है • फंसे हुए पैसों को निकलवाने के लिए मोती माला को पूर्णिमा की रात्रि में धारण करनी चाहिये। • नौकरी में तरक्की, अच्छी नौकरी की प्राप्ति और व्यापार व्यव

*सर्व-ग्रह दोष शांत करने का सबसे आसान उपाय*

  *सर्व-ग्रह दोष शांत करने का सबसे आसान  उपाय*           "करके तो देखिऐ" *"इश्वर के कार्य में सहयोगी बनें"- पसु-पक्षियों को आहार-पानी देकर कुंडली में दूषित ग्रहों के प्रभाव से सहज बचा जा सकता है।*        *इस कार्य को करने से  हम प्रभु के कृपा पात्र ही नहीं बनते हैं वल्कि हम ईश्वर का प्रतिनिधी बनकर ईश्वर का कार्य ही करते हैं। सोचिऐ भूखे-प्यासे को भोजन-पानी देना तो भगवान का ही कार्य है ना।।*     *और भगवान का कार्य करने वाले को सारी परेशानियों और प्रारब्ध के दोषों से इश्वर स्वयं रक्षा करता है। तथा पाप क्षीण हो जाते हैंं पुण्य प्राप्ती होता है। ... पापों के क्षरण होते ही दैहिक ,दैविक , और भोंतिक कष्ट क्षू-मंतर होने लगते हैं।।*           -:लाभ:-  1-आपके मन में अक्सर भय सा या बेचैनी-सी रहती है।  2-आपके काम ठीक समय पर पूरे नहीं होते या पूरे होते-होते रुकते हैं।  3-पारिवारिक क्लेश (विवाद) नियमित रूप से चलता रहता है।  4-परिवार में सदैव किसी का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है। 5-भरकस परिश्रम करने पर भी धनोपार्जन करना मुश्किल हो रहा है। 6-एक नई परेशानी हल होने से पहले दूसरी तैयार र