सुकून के ~ कुछ पल
... ︵︷︵︷︵︷︵︷︵︷︵ ♤ सुकून के ~ कुछ पल ♤ ︶︸︶︸︶︸︶︸︶︸︶ कितनी भाग दौड़ मचा रखी है जिंदगी में. नौकरी ● पढ़ाई ● कमाई. जरा ठहरो तो, साँस तो ले लो. खुद को भी कुछ समय दो. कितना वक्त हो गया ना ... खुद से मिले. कब अपने आप से बात की तुमने ? इत्मीनान से .... बोलो ? बोलो भी ? आह्ह... नहीं याद है ना ... क्योंकि तुम्हारे पास समय ही नहीं था. तुम तो आँख बन्द किये घड़ी की सुई के साथ भाग रहे थे. कौन सा विजयपथ है वो, जिस पर सबके सब भेड़ चाल बनके भाग रहे हैं ? चलो ... आज समय निकाल कर, ...