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जनवरी, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

जगन्नाथ मंदिर का महा रहस्य

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  भगवान जगन्नाथ मंदिर का महा रहस्य भगवान् कृष्ण ने जब देह छोड़ी तो उनका अंतिम संस्कार किया गया, उनका सारा शरीर तो पांच तत्त्व में मिल गया, लेकिन उनका हृदय बिलकुल सामान्य एक जिन्दा आदमी की तरह धड़क रहा था और वो बिलकुल सुरक्षित था , उनका हृदय आज तक सुरक्षित है, जो भगवान् जगन्नाथ की काठ की मूर्ति के अंदर रहता है और उसी तरह धड़कता है, ये बात बहुत कम लोगो को पता है! महाप्रभु का महा रहस्य सोने की झाड़ू से होती है सफाई....! महाप्रभु जगन्नाथ(श्री कृष्ण) को कलियुग का भगवान भी कहते है.... पुरी (उड़ीसा) में जग्गनाथ स्वामी अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलराम के साथ निवास करते है, मगर रहस्य ऐसे है कि आजतक कोई न जान पाया...! हर 12 साल में महाप्रभु की मूर्ती को बदला जाता है,उस समय पूरे पुरी शहर में ब्लैकआउट किया जाता है, यानी पूरे शहर की लाइट बंद की जाती है,लाइट बंद होने के बाद मंदिर परिसर को crpf की सेना चारो तरफ से घेर लेती है,उस समय कोई भी मंदिर में नही जा सकता...! मंदिर के अंदर घना अंधेरा रहता है...पुजारी की आँखों मे पट्टी बंधी होती है...पुजारी के हाथ मे दस्ताने होते है..वो पुरानी मूर्ती से "ब्रह्म पदा
                                      👉ज्योतिष के वक्री ग्रहो के नियम💥                                           सूर्य से 2 राशि में स्तिथि ग्रह शीघ्र गति से चलते है । 👉सूर्य से 3 राशि में स्तिथ ग्रह समान्य गति से चलते है । 👉सूर्य से 4 राशि में स्तिथ ग्रह मंद गति से चलते है । 👉सूर्य से 5 राशि में स्तिथ थोड़ी वक्र गति से चलते है । 👉सूर्य से 6 राशि में स्तिथ 5 के समान ही चलते है । 👉सूर्य से 7 राशि और 8 राशि में स्तिथ ग्रह बहुत वक्र गति से चलते है । 👉सूर्य से 9 राशि और 10 राशि में ग्रह कुटिल गति कह सकते है ।      सूर्य से 11 राशि 12 राशि में ग्रह बहुत शीघ्र गति से चलते है शुभ ग्रह यदि शीघ्र गति से चलते है तो उनकी शुभता में कमी आ जाती है ।  जब कोई ग्रह शीघ्र  गति से चलता है तो वह अपना सन्तुलन खो देता है वो शुभ ग्रह हो या पापी ग्रह हो या किसी भी भाव का स्वामी हो जब कोई ग्रह वक्री हो तो वह ग्रह बहुत अधिक बलबान समझना चाहे वो किसी भी राशि में हो चाहे वो ग्रह शुभ ग्रह हो या पापी  ग्रह हो वक्री ग्रह मन्द गति होता है और वो सूर्य से दूर होने के कारण रशिमयो से युक्त होता है इसलिए  वक्री ग्रह

पूजा अर्चना में वर्जित काम

💢शास्त्रों के अनुसार पूजा अर्चना में वर्जित काम💢 १) गणेश जी को तुलसी न चढ़ाएं २) किसी देवी पर दुर्वा न चढ़ाएं ३) शिव लिंग पर केतकी फूल न चढ़ाएं ४) विष्णु को तिलक में अक्षत न चढ़ाएं ५) दो शंख एक समान पूजा घर में न रखें ६) मंदिर में तीन गणेश मूर्ति न रखें ७) तुलसी पत्र चबाकर न खाएं ८) द्वार पर जूते चप्पल उल्टे न रखें ९) दर्शन करके बापस लौटते समय घंटा न बजाएं १०) एक हाथ से आरती नहीं लेना चाहिए ११) ब्राह्मण को बिना आसन बिठाना नहीं चाहिए १२) स्त्री द्वारा दंडवत प्रणाम वर्जित है १३) बिना दक्षिणा ज्योतिषी से प्रश्न नहीं पूछना चाहिए १४) घर में पूजा करने अंगूठे से बड़ा शिवलिंग न रखें १५) तुलसी पेड़ में शिवलिंग किसी भी स्थान पर न हो १६) गर्भवती महिला को शिवलिंग स्पर्श नहीं करना है १७) स्त्री द्वारा मंदिर में नारियल नहीं फोडना है १८) रजस्वला स्त्री का मंदिर प्रवेश वर्जित है १९) परिवार में सूतक हो तो पूजा प्रतिमा स्पर्श न करें २०) शिव जी की पूरी परिक्रमा नहीं किया जाता २१) शिव लिंग से बहते जल को लांघना नहीं चाहिए २२) एक हाथ से प्रणाम न करें २३) दूसरे के दीपक में अपना दीपक जलाना नहीं चाहिए २४.१)च

ओपल रत्न

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💥 ओपल रत्न 💥 अगर कोई व्‍यक्‍ति अपने जीवन में हर तरह का सुख पाना चाहता है तो उसे शुक्र ग्रह का ओपल रत्‍न पहनना चाहिए। हीरा शुक्र का रत्‍न है और शुक्र धन-ऐश्‍वर्य और दांपत्‍य सुख का कारक होता है. शुक्र अगर कुंडली में कमजोर हो तो दांपत्‍य जीवन या लव लाइफ कभी सक्‍सेसफुल नहीं होती. वहीं धन और मान-सम्‍मान भी हमेशा दांव पर लगा रहता है. ऐसे में शुक्र को मजबूती देता है हीरा लेकिन हीरा पहनना सबके बस की बात नहीं. ऐसे में हीरे का वैकल्पिक शक्तिशाली रत्‍न है ओपल. ज्‍योतिष में शुक्र ग्रह को प्रेम और भौतिक सुख का देवता माना गया है। अगर कोई व्‍यक्‍ति अपने जीवन में हर तरह का सुख पाना चाहता है तो उसे शुक्र ग्रह का ओपल रत्‍न पहनना चाहिए।   ओपल रत्न धारण करने से व्यक्ति की समाज में लोकप्रियता भी बढ़ती है।  ओपल के स्‍वामी ग्रह शुक्र को शुभ ग्रह माना गया है और यदि कोई व्‍यक्‍ति इस ग्रह का प्रसन्‍न कर ले तो उसे भौतिक, वैवाहिक एवं शारीरिक सुख मिलते हैं। शुक्र को भोग-विलास, प्रेम, कला, रोमांस, सौंदर्य, सुख का कारक माना गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ओपल सफेद रंग का रत्न है जो कि कुंडली में शुक्र ग्रह की

हिंदू धर्म में सूर्य को सभी ग्रहों में राजा माना जाता है

💥भगवान सूर्य का आशीर्वाद प्राप्‍त करने के लिए 💥 ग्रहों-नक्षत्रों की अनुकूल स्थिति जीवन में फलदायी सिद्ध होती है, जबकि प्रतिकूल स्थिति से दोष उत्पन्न होते हैं. हिंदू धर्म में सूर्य को सभी ग्रहों में राजा माना जाता है. सूर्य ग्रह यश, बल, गौरव और मान-सम्मान का प्रतीक है. कुंडली में सूर्य दोष होने पर व्यक्ति को हर राह पर कठनाइयों का सामना करना पड़ता है. सूर्य दोष होने पर किसी भी कार्य में सफलता नहीं मिलती है. सूर्य ग्रह को शांत रखने के लिए माणिक्य रत्न धारण करना शुभ माना जाता है . घर की पूर्व दिशा को वास्तु के अनुसार व्यवस्थित करके रखें. इससे भी सूर्य शांत रहेंगे और शुभ फल मिलता रहेगा. सूर्य की बात करे तो यह प्रकाश देता है तो इसके उदय से अंधकार दूर होता है यह सबसे बड़ा ग्रह है इसको राजा भी कहा गया है जब यह कुंडली मे शुभ हो तो अपने आकार की तरह सब कुछ बड़ा ही देता है आज इसका हर ग्रह से युति की बात करे तो ......... #सूर्य और चन्द्रमा = जब साथ हो तो यह अमावस्य दोष हो जाता है धन की लिए भी यह शुभ नही होता और मानशिक तनाव भी रहता है #सूर्य और मंगल = जब साथ हो तो जातक क्रोधी स्वभाव का होता है अग्नि

पन्ना धारण करने के चमत्कारी फायदे

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  सोई हुई किस्मत को भी जगा सकता है  पन्ना  रत्न पन्ना धारण करने के चमत्कारी फायदे  रत्न शास्त्र के अनुसार,  पन्ना  रत्न बुध ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है. इसे धारण करने से व्यक्ति के जीवन में कई सफलता के मुकाम हासिल करने का योग बनता है. ... समझदार और बौद्धिक बनाता है ... क्रिएटिविटी बढ़ाता है ... धन वृद्धि में सहायक ... संचार शक्ति बढ़ाता है ... शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी ... प्रसिद्धि पाने में मददगार इन राशियों के लिए पन्ना है लाभकारी ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मिथुन और कन्या लग्न की राशियों को पन्ना पहनना लाभकारी साबित होता है. पन्ना का बुध ग्रह से संबंध है. ऐसे में यह रत्न छात्रों के लिए भी उत्तम माना जाता है. इसे धारण करने से एकाग्रता और स्मरण शक्ति अच्छी रहती है.  बुध को मजबूत करता है पन्ना ज्योतिषीय गुणों की बात करें तो पन्ना बुध का रत्न माना जाता है. बुध ग्रह की पीड़ा को शांत करने के लिए इस रत्न को धारण करने की सलाह दी जाती है. अगल कुंडली में बुध ग्रह कमजोर हो तो यह रत्न उसे मजबूती प्रदान करता है. साथ ही बुध की महादशा और अंतर्दशा से छुटकारा पाने के लिए भी इस रत्न को धारण किय

राहु ग्रह और केतु ग्रह, दिलचस्प जानकारी

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  *राहु ग्रह दिमाग पर और केतु ग्रह दिल पर असर करता है, दिलचस्प जानकारी* ___________________________________ *ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहु और केतु की भूमिका एक पुलिस अधिकारी की तरह है जो न्यायाधीश शनि के आदेश पर कार्य करते हैं। राहु का रंग काला और केतु का रंग सफेद माना जाता है। राहु की देवी सरस्वती जी और केतु के देवता भगवान गणेश जी है। *राहु और केतु शनि के अनुचर हैं। शरीर में इनके स्थान नियु‍क्त हैं। सिर राहु है तो केतु धड़। यदि आपके गले सहित ऊपर सिर तक किसी भी प्रकार की गंदगी या खार जमा है तो राहु का प्रकोप आपके ऊपर मंडरा रहा है और यदि फेफड़ें, पेट और पैर में किसी भी प्रकार का विकार है तो आप केतु के शिकार हैं। चूंकि राहु का सिर्फ सिर है और केतु का धड़ इसलिए राहु प्रधान व्यक्ति दिमाग से ज्यादा काम लेते हैं और केतु प्रधान व्यक्ति दिल से। *राहु का पशु हाथी और कांटेदार जंगली चूहा तथा केतु का पशु कुत्ता, गधा, सुअर और छिपकली है। राहु का वृक्ष नारियल का पेड़ व कुत्ता घास और केतु का इमली का दरख्त, तिल के पौधे व केला है। राहु शरीर के सिर और ठोड़ी पर और केतु कान, रीढ़, घुटने, लिंग और जोड़ पर प