उपयोगी वास्तु टिप्स



उपयोगी वास्तु टिप्स

    घर चाहे छोटा हो या बड़ा किंतु वह पूर्णतया आरामदायक, मजबूत एवं शांतिप्रदायक भी होना चाहिए। यह तभी संभव है जब हम गृह-निर्माण एवं उसकी साज-सज्जा के साथ-साथ घर के वास्तु पर भी पूरा ध्यान दें ।

    उत्तर-पूर्व को ईशान कोण, उत्तर-पश्चिम को वायव्य कोण, दक्षिण-पूर्व को आग्नेय कोण एवं दक्षिण-पश्चिम को नैत्य कोण कहते हैं।

इन दिशाओं से संबंधित तत्व इस प्रकार हैं- 

उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) जल तत्व

उत्तर-पश्चिम (वायव्य कोण) वायु तत्व

दक्षिण-पूर्व (आग्नेय कोण) अग्नि तत्व

दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य कोण) पृथ्वी तत्व

ब्रह्म स्थान (मध्य स्थान) आकाश तत्व जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी और आकाश, पंच महाभूत तत्व कहे जाते हैं। जिनसे मिलकर हमारा शरीर बना है।

    इस प्रकार दिशाओं के अनुरूप गृह निर्माण करवाने से घर में वास्तु दोष होने का कोई कारण नजर नहीं आता, फिर भी शहरों में स्थानाभाव के कारण छोटे-छोटे भूखंडों पर घर बनाने पड़ते हैं साथ ही शहरों में अधिक संखया में लोग फ्लैट्स में ही रहते हैं जो पहले से ही निर्मित होते हैं ।

    अतः घर पूर्णतया वास्तु सम्मत हो, ऐसा संभव नहीं हो पाता। चाहकर भी हम उन वास्तु दोषों को दूर नहीं कर पाते हैं और हमें उसी प्रकार उन वास्तु दोषों को स्वीकार करते हुए अपने घर में रहना पड़ता है। ऐसी परिस्थितियों में कुछ उपयोगी वास्तु टिप्स को अपनाकर गृह दोषों को काफी सीमा तक कम किया जा सकता है। 

यह महत्वपूर्ण जानकारियां निम्नलिखित हैं- सर्वप्रथम घर के मुखय द्वार पर दृष्टि डालते हैं घर का मुखय द्वार सदैव पूर्व या उत्तर में ही होना चाहिए किंतु यदि ऐसा न हो पा रहा हो तो घर के मुखय द्वार पर सोने चांदी अथवा तांबे या पंच धतु से निर्मित 'स्वास्तिक' की प्राण प्रतिष्ठा करवाकर लगाने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश और सकारात्मक ऊर्जा का विकास होने लगता है। घर की स्थिति अनुकूल होने लगती है।

    घर के मुखय द्वार पर तुलसी का पौधा रखें। सुबह उसमें जल अर्पित करें तथा शाम को दीपक जलाएं। पूर्व या उत्तर दिशा में तुलसी का पौधा लगाने से घर के सदस्यों में आत्मविश्वास बढ़ता है। घर की छत पर तुलसी का पौधा रखने से घर पर बिजली गिरने का भय नहीं रहता। घर में किसी प्रकार के वास्तु दोष से बचने के लिए घर में पांच तुलसी के पौधे लगाएं तथा उनकी नियमित सेवा करें।

    ध्यान रहे कि घर में खिड़की दरवाजों की संखया सम हो जैसे (2, 4, 6, 8, 10) तथा दरवाजे खिड़कियां अंदर की तरफ ही खुलें। द्वार खुलते-बंद होते समय किसी भी प्रकार की कर्कश ध्वनि नहीं आनी चाहिए। ये अशुभ सूचक होता है।

    कलह से बचने के लिए घर में किसी देवी-देवता की एक से अधिक मूर्ति या तस्वीर न रखें।

    किसी भी देवता की दो तस्वीरें इस प्रकार न लगाएं कि उनका मुंह आमने-सामने हो। देवी-देवताओं के चित्र कभी भी नैत्य कोण में नहीं लगाने चाहिए अन्यथा कोर्ट-कचहरी के मामलों में उलझने की पूरी संभावना रहती है।

    किसी को कोई बात समझाते समय अपना मुंह पूर्व दिशा में ही रखें।

    पढ़ते समय बच्चों का मुंह पूर्व दिशा में ही होना चाहिए।

    चलते समय कभी भी पैर घसीटकर न चलें। जीवन में स्थायित्व लाने के लिए सदैव अपने पैन से ही हस्ताक्षर करें।

    इस बात का ध्यान रहे कि घर में कभी भी फालतू सामान, टूटे-फूटे फर्नीचर, कूड़ा कबाड़ तथा बिजली का सामान इकट्ठा न होने पाए। अन्यथा घर में बेवजह का तनाव बना रहेगा।

    फटे-पुराने जूते-मौजे, छाते, अण्डर गारमेंट्स आदि जितनी जल्दी हो सके घर से बाहर फैंक दें। नहीं तो घर में सकारात्मक ऊर्जा का सर्वथा अभाव रहेगा और व्यर्थ की परेशानियां घेरे रहेंगी। फटे जूते मौजे और अण्डर गारमेंट्स प्रयोग में आने से शनि के नकारात्मक पडत़े हैं।

    फर्नीचर का आकार गोल, त्रिकोण, षट्कोण या अण्डाकार नहीं होना चाहिए।

    धन वृद्धि के लिए तिजोरी का मुंह सदैव उत्तर या पूर्व दिशा में ही होना चाहिए तथा जहां पर पैसे रखने हों वहां पर सुगंधित दृव्य या इत्र, परफ्यूम आदि नहीं रखने चाहिए। तिजोरी के दरवाजे पर कमल पर बैठी हुई तथा सफेद हाथियों के झुन्ड के अग्र भाग से नहलाई जाती हुई लक्ष्मी जी की एक तस्वीर लगाने से घर में निरंतर वृद्धि होती है।

    दक्षिण की दीवार पर दर्पण कभी भी न लगाएं। दर्पण हमेशा पूर्व या उत्तर की दीवार पर ही लगाना चाहिए।

    फ्लोरिंग, दीवार या छत आदि पर दरारे नहीं पड़नी चाहिए। यदि ऐसा है तो उन्हें शीघ्र ही भरवा देना चाहिए। घर के किसी भी कोने में सीलन नहीं होनी चाहिए। शाम को कम से कम 15 मिनट पूरे घर की लाइट अवश्य जलानी चाहिए। बिजली के स्विच, मोटर, मेन मीटर, टी.वी., कम्प्यूटर आदि आग्नेय कोण में ही होने चाहिए इससे आर्थिक लाभ सुगमता से होता है। घर में पुस्तकें रखने का स्थान उत्तर या पूर्व में ही होना चाहिए तथा पुस्तकों को बंद अलमारी में ही रखना चाहिए।

    टेलीफोन के पास कभी भी पानी का ग्लास या चाय का कप नहीं रखना चाहिए। अन्यथा टेलीफोन ठीक से काम नहीं करेगा और उसमें कुछ न कुछ गड़बड़ होती रहेगी।

    घर में कभी भी मकड़ी के जाले नहीं लगने चाहिए नहीं तो राहु खराब होता है तथा राहु के बुरे फल भोगने पड़ते हैं। घर में कभी भी रामायण, महाभारत, युद्ध, उल्लू आदि की तस्वीर नहीं लगानी चाहिए। केवल शांत और सौम्य चित्रों से ही घर की सजावट करनी चाहिए।

    अविवाहित कन्याओं के कमरे में सफेद चांद का चित्र अवश्य लगाना चाहिए।

    पूर्व की ओर मुख करके खाना खाने से आयु बढ़ती है। उत्तर की ओर मुख करके भोजन करने से आयु तथा धन की प्राप्ति होती है। दक्षिण की ओर मुख करके भोजन करने से प्रेतत्व की प्राप्ति होती है तथा पश्चिम की ओर मुख करके भोजन करने से व्यक्ति रोगी होता है। भोजन की थाली कभी भी एक हाथ से नहीं पकड़नी चाहिए। भोजन की थाली को सदैव आदरपूर्वक दोनों हाथ लगाकर ही टेबल तक लाना चाहिए। यदि जमीन पर बैठकर खाना-खाना है तो भोजन की थाली को सीधे जमीन पर न रखकर किसी चौकी या आसन पर रखकर ही भोजन ग्रहण करना चाहिए।

    सोते समय गृहस्वामी का सिर सदैव दक्षिण केी तरफ ही होना चाहिए इससे आयु वृद्धि होती है एवं गृह स्वामी का पूर्ण प्रभुत्व घर पर बना रहता है। यदि प्रवास पर हों तो पश्चिम की ओर सिर करके ही सोना चाहिए। जिससे जितनी जल्दी हो सके अपने घर वापस आ सकें।

    घर में सीढ़ियों का स्थान पूर्व से पश्चिम या उत्तर से दक्षिण की ओर ही होना चाहिए, कभी भी उत्तर-पूर्व में सीढ़ियां न बनवाएं। सीढ़ियों की संखया हमेशा विषम ही होनी चाहिए जैसे- 11, 13, 15 आदि।

    संध्या के समय घर में एक दीपक अवश्य जलाएं तथा ईश्वर से अपने द्वारा किए गये पापों के लिए क्षमा याचना करें। यदि धन संग्रह न हो पा रहा हो तो ''ऊँ श्रीं नमः'' मंत्र का जप करें एवं सूखे मेवे का भोग लक्ष्मी जी को लगाएं। यदि इन सब बातों का ध्यान रखा जाए तो विघ्न, बाधाएं, परेशानियां हमें छू भी नहीं सकेंगी, खुशियां हमारे घर का द्वार चूमेंगी तथा घर का प्रत्येक सदस्य प्रगति करता रहेगा।

JAI SHRI RAM 

💥VIJAY KRISHNA 🙏

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