फिरोजा रत्न एक चमत्कारी पत्थर बदल देगा आपकी किस्मत



फिरोजा रत्न एक चमत्कारी पत्थर बदल देगा आपकी किस्मत


फिरोजा  को बरकत देने वाला रत्न माना गया है. फिरोजा रत्न को ज्योतिष में ग्रह शांति एवं भाग्य में शुभता बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है. यह एक अपारदर्शी उपरत्न है परन्तु वर्तमान समय में इसकी बहुत अधिक माँग है. फिरोजा का मूल रंग आसमानी है. कई बार यह आसमानी रंग से थोड़ा सा गहरा तो कई बार यह नीले और हरे रंग के मिश्रित रुप में पाया जाता है. शुद्ध नीले रंग के फिरोजे की माँग सबसे अधिक है.


फिरोज़ा के फायदे

इस उपरत्न को धारण करने से दाम्पत्य जीवन में समरसता बनी रहती है. संबंधों में सामजंस्यता तथा विश्वास प्रगाढ़ होता है. ऎसी धारणा है कि इस उपरत्न को धारण करने से जीवन में ख़ुशियाँ रहती हैं और भाग्य बली होता है. धारण करने वाले के अंदर नकारात्मक ऊर्जा का संचार नहीं होता, उसका बीमारियों से बचाव होता है. इसे दोस्ती का प्रतीक भी माना जाता है. लम्बी यात्राओं पर जाने से पहले इस उपरत्न को ताबीज के रुप में भी इस्तेमाल किया जाता है. 

यह आपकी सामाजिक स्थिति और मान-सम्मान में बढ़ोत्तरी करता है।

फिरोज़ा मानसिक स्थिति को मज़बूत बनाता है और संवाद के अभाव को दूर करता है।

इसके प्रभाव से अभूतपूर्व मन की शक्ति प्रदान होती है।

यह आपके आत्म-सम्मान और विश्वास को बढ़ाने में मदद करता है।

फिरोजा रत्न से मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ

इस उपरत्न का जिक्र एक पवित्र पत्थर के रुप में किया जाता है. इसका जिक्र पवित्र पुस्तक बाईबल में भी मिलता है. फीरोजा धारण करने से व्यक्ति दुर्घटना तथा हिंसा से बचा रहता है. इसका उपयोग चिकित्सा के रुप में व्यक्ति का तनाव दूर करने के लिए भी किया जाता है. जो व्यक्ति तनाव की स्थिति से गुजर रहें हैं वह इस उपरत्न को लॉकेट के रुप में धारण कर सकते हैं. जिन लोगों को ऊँचाई वाले स्थानों पर काम करना पड़ता है उन्हें फीरोजा धारण करने की सलाह दी जाती है. इस उपरत्न को धारण करने से एसीडिटी में आराम मिलता है. पेट की समस्याओं से राहत मिलती है.

जिन्हें रक्तचाप (उच्च या कम) जैसी कोई भी दिक्कत रहती हो और उसका इलाज सफल नहीं हो रहा है, उन्हें भी ज्योतिष सलाह लेने के बाद फिरोजा रत्न धारण करना चाहिए। इसके अलावा यह रत्न बुरी नजर से भी व्यक्ति की रक्षा करता है।

फिरोजा रत्न देता है पैसा और शोहरत

फिरोजा रत्न धन के मामले में और नाम कमाने में सहायक बनता है. इस रत्न का उपयोग फिल्मी दुनिया के लोगों द्वारा भी बहुत किया जाता है. शोहरत कमाने और अपने नाम को फेमस बनाने के लिए भी इस रत्न को उपयोग में लाया जाता है. इस रत्न को प्रेम संबंधों में मजबूती लाने वाला भी कहा जाता है.

कौन धारण करे

इस रत्न का उपयोग गले में लाकेट के रुप में, ब्रेस्लेट के रुप में या फिर अंगुठी के रुप में जैसे चाहें उपयोग में ला सकते हैं. ये एक सकारात्मक स्थिति को देता है. जिन व्यक्तियों की कुण्डली में शुक्र शुभ भावों का स्वामी होकर कमजोर अवस्था में है वह फीरोजा धारण कर सकते हैं.

पाश्चात्य ज्‍योतिष में इसे बृहस्पति ग्रह के लिए धनु राशि के जातकों के लिए उपयोगी माना जाता है. भारतीय ज्‍योतिष में इसे गुरू का उपरत्‍न और यह धनु- मीन राशि वालों के लिए उपयोगी कहा गया है. यह मान-सम्‍मान, आर्थिक लाभ में वृद्धि, बेहतर स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है.
फ़िरोज़ा रत्न के लाभ

इसकी दूसरी खासियत यह है कि यह प्रेम संबंधों को सुधारने के काम आता है। यदि प्रेमी-प्रेमिका के बीच परेशानी चल रही हो या पति-पत्नी में कोई अनबन हो, तो फिरोजा रत्न के प्रयोग से दो अंगूठियां बनवाएं और शुभ मुहूर्त में एक-दूसरे को पहनाएं। यह रत्न धीरे-धीरे रिश्ते सुधार देता है।

चलिए सबसे पहले जानते हैं इस रत्न की खासियत... एस्ट्रोलॉजी के अनुसार फिरोजा रत्न धनु कुंभ और मीन राशि (चंद्र राशि) वालों को जरूर पहनना चाहिए। इसके अलावा वे लोग जिनकी कुंडली में बृहस्पति ग्रह कमजोर हो, उन्हें भी यह रत्न धारण करना चाहिए। यह बृहस्पति ग्रह को मजबूती प्रदान करता है। उन लोगों को फिरोजा रत्न अवश्य धारण करना चाहिए जिनका जन्म भारतीय जन्म मास के अनुसार पौष महीने में हुआ हो।

जिनका जन्म अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से दिसंबर के महीने में हुआ हो उनके लिए फिरोजा रत्न पहनना लाभकारी सिद्ध होगा। विशेष तौर पर वे लोग जिनका जन्म 21 दिसंबर से 19 जनवरी के बीच हुआ हो, वे भी यह रत्न जरूर पहनें।


कुंडली दोष शांत करे

जिनकी कुंडली में राहु या केतु का कोई भी दोष हो, उस दोष को शांत करने का रामबाण उपाय है फिरोजा रत्न।

फिरोज़ा कैसे और कब धारण करें

फिरोजा रत्न की एक खासियत है की ये रत्न नकारात्मक प्रभाव नही देता है. यह अगर कोई लाभ न दे पाए तो ये अशुभ भी नहीं होता है. इस रत्न को शुक्र वार के दिन धारण किया जा सकता है. इसे बृहस्पतिवार और शनिवार को भी धारण कर सकते हैं. फिरोज़ा रत्न को शुभ दिन शुक्ल पक्ष के समय पर गंगा जल से शुद्ध कराके कच्च दूध में स्नान कराके, पूजा-अर्चना के बाद इसे अंगूठी या जैसे चाहें उपयोग में ला सकते हैं. इसे सोने, तांबे, चांदी अथवा पंच धातु में धारण किया जा सकता है.

OM NARAYAN HARI 

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