SANTAN BADHA NIVARAN KE UPAY
"संतान" जीवन की वो खुशी है जो हर कोई चाहता है उसके घर-आँगन में खुशियां ले आए। "माँ" शब्द सुनना हर स्त्री के लिए अलग ही एहसास होता है, जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। परंतु किसी किसी दंपति के जीवन मे, उसके आंगन में उस किलकारी की कमी रह जाती है जिसका वो सुख चाहती है।
प्रत्येक दाम्पत्य
को संतान
प्राप्ति व
माता-पिता
कहलाने के
सौभाग्य की
इच्छा होती
है और
जीवन में
संतान आने
के बाद
व्यक्ति के
जीवन में
नए रंगों
से भर
जाता है,
परंतु सभी
व्यक्तियों को
यह सौभाग्य
समान रूप
से प्राप्त
नहीं होता
कुछ लोगों
को सुगमता
से संतान
की प्राप्ति
या संतान
सुख मिल
जाता है
तो बहुत
से लोगों
को बाधाओं
के बाद
या विलम्ब
से संतान
प्राप्ति हो
पाती है।
हमारी कुण्डली
में 5th हाउस
संतान सुख
का स्थान
होता है
तथा ‘‘बृहस्पति’’ संतान
का नैसर्गिक
कारक है
अतः मुख्य
रूप से
तो 5th हाउस
और बृहस्पति
ही विचारणीय
होते है
परंतु इसमें
पंचम से
पंचम अर्थात्
नवम भाव
की भी
सहायक भूमिका
होती है
विशेषकर स्त्री
की कुण्डली में नवम भाव
को भी
संतान पक्ष
के लिए
महत्वपूर्ण माना
गया है।
जीवन में संतान प्राप्ति
या संतान
सुख को
निश्चित करता
है। यदि
कुण्डली में 5th हाउस
और बृहस्पति
अच्छी स्थिति में हो तो
सुगमता से
संतान प्राप्ति
होती है
परंतु जब
5th हाउस और
बृहस्पति पीड़ित
या कमजोर
हो तो
संतान प्राप्ति में बाधाएं और
विलम्ब उपस्थित
होता है।
शास्त्रों में कहा गया है कि जिनकी कुण्डली में पितृ दोष होता है उन्हें संतान सुख में बाधा का सामना करना पड़ता है। कौए को भोजन देने से पितृगण प्रसन्न होते हैं और पितृ बाधा का प्रभाव कम होता है।
यहां एक
बात और
विचारणीय है
पुरूष की
कुण्डली में
शुक्र और
सूर्य तथा स्त्री की
कुण्डली में
मंगल और
चन्द्रमा भी
यदि अति
पीड़ित या
अति कमजोर
स्थिति में
हो तो
भी संतान
प्राप्ति कुछ
बाधाएं आती
है।
पुत्र या पुत्री योग:-
सूर्य, मंगल, गुरू पुरूष ग्रह हैं। शुक्र, चन्द्र स्त्री ग्रह है। बुध और शनि नपुंसक ग्रह है। संतान योग कारक पुरूष ग्रह होने पर पुत्र तथा स्त्री ग्रह होने पर पुत्री का सुख मिलता है। शनि और बुध योग कारक होकर विषम राशि में हो तो पुत्र व समराशि में हो तो पुत्री प्रदान करते हैं।
ज्योतिषशास्त्र
में पुत्र संतान पर केतु का प्रभाव बताया गया है। केतु के अशुभ स्थिति में होने पर
संतान सुख में बाधा आती है। अगर संतान हो भी जाए तो उनसे सुख की संभावना नहीं रहती
है। लाल किताब में बताया गया है
कि संतान सुख में बाधा आने पर काला कुत्ता अथवा काला और सफेद कुत्ता पालन चाहिए। इससे
संतान सुख की प्राप्ति होती है। यह उपाय संतान के स्वास्थ्य के लिए भी शुभ कारगर होता
है।
संतान बाधा निवारण के ज्योतिषीय उपाय :-
उन्हें विधि-विधान पूर्वक अपनाने से बाधाओं का निवारण होता है। जीवन मे उचित उपाय करके भी संतान की प्राप्ति की जा सकती है।
1. जिन
स्त्रियों के घर संतान नही है उन स्त्रियों को प्रतिदिन पीपल की परिक्रमा करनी चाहिए, पीपल के पेड़ पर दीपक जलाना भी शुभ माना जाता है, रविवार के दिन यह उपाय नहीं करते।
2. संतान
की इच्छा रखने वाली स्त्रियों को "सर्प-पूजन" करना चाहिए, इससे संतान दोष दूर हो जाता है।
3. ऐसा
माना जाता है कि जिन स्त्रियों को संतान की चाह होती है उन्हें रामेश्वरम (जिसे पूरी के नाम से भी जाना जाता है) उसकी यात्रा करनी चाहिए।
4. "नवग्रह शांति पाठ", संतान प्राप्ति में बेहद मददगार होता है इस पाठ से सारे दोष से निवारण मिलता है।
5. संतान प्राप्ति की इच्छुक स्त्रियों को 9 वर्ष से कम आयु की कन्याओं के चरण छूने चाहिए, इस प्रकार जल्द ही उनके घर मे बच्चो की किलकारियां गूंज सकती है।
6. संतान
प्राप्ति की इच्छा रखने वाली स्त्रियों को अपने कमरे (Room) में
"श्री कृष्णा भगवान" की
बाल रूपी फ़ोटो लगाए या लड्डू गोपाल को प्रतिदिन माखन-मिशरी का भोग अर्पण करें।
7. गुरुवार के दिन स्त्रियों को पीले धागे में पिसी कौड़ी को कमर पर बांधने से प्रबल संतान के योग बनते है।
8. "राधा-कृष्ण" के
मंदिर में चांदी की बांसुरी भगवान के चरणों मे अर्पित करना भी शुभ होता है।
9. मंगलवार के दिन गरीबो को गुड़ बांटे, तथा हनुमान जी को गुलाब की माला अर्पित करें।
10. संतान
प्राप्ति के लिए स्त्रियों को प्रतिदिन खाली पेट गुड़हल का फूल 90 दिनों तक खाने से भी लाभ मिलता है।
11. बुधवार के दिन गेंहू के आटे की गोलियां बनाकर उसमें चने की दाल और थोड़ी हल्दी मिलाकर गाय को खिलाना चाहिए।
12. संतान गोपाल यंत्र की स्थापना करें व सवा लाख संतान गोपाल मंत्र का जाप करने से और दस मुखी रुद्राक्ष धारण करने से भी जल्दी ही संतान प्राप्ति होती है।
- संतान गोपाल मंत्र ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः।
फेंगशुई से लाएं खुशहाली
फेंगशुई से संबंधित टोटके भी संतान प्राप्ति के उपाय हैं। घर की पश्चिमी दिशा हमारे जीवन में बच्चों का कारक होती है। इस दिशा को प्रभावशाली बनाने से घर में ज़्यादा सकारात्मक ऊर्जा का बहाव होता है। ये दिशा धातुओं को दर्शाती है। इस स्थान पर धातु से निर्मित कोई सजावट का सामान या अन्य समान रखकर इस दिशा को ज़्यादा प्रभावशाली बना सकते हैं। इसके साथ ही इस दिशा की दीवारों पर मैटेलिक कलर्स जैसे गोल्ड, सिल्वर, कॉपर, ब्रॉन्ज या फिर वाइट कलर करवा सकते हैं। यदि इस दिशा में खिड़की व दरवाजे हैं तो मैटेलिक कलर्स के पर्दे या फर्नीचर का उपयोग भी कर सकते हैं।
👌👌
जवाब देंहटाएंBahut badhiya
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